10 मिलीलीटर मूली का रस, 10 ग्राम यवक्षार, 50 ग्राम हिंग्वाष्टक चूर्ण, 50 ग्राम सोडा बाइकार्बोनेट, 2 ग्राम नौसादर, 10 ग्राम टार्टरी को मिलाकर
चूर्ण बना लें। यह चूर्ण 3 ग्राम पानी के साथ खाने से
हर प्रकार का पेट का दर्द दूर हो जाता है।
100 मिलीलीटर मूली का रस, 200 ग्राम घीकुंवार का रस, 50 मिलीलीटर अदरक का रस, 20 ग्राम सुहागे का फूल, 20 ग्राम नौसादर ठीकरी, 20 ग्राम पांचों नमक, 10-10 ग्राम चित्रकमूल, भुनी हींग, पीपल मूल, सोंठ, कालीमिर्च, पीपल, भुना जीरा, अजवाइन, लौह भस्म और 150 ग्राम पुराना गुड़। सभी
औषधियों को पीसकर चूर्ण बनाकर मूली, घीकुंवार और अदरक के
रस में मिलाकर, अमृतबान (एक बर्तन) में
भरकर, अमृतबान का मुंह बंद करके 15 दिन धूप में रखें। 15 दिन बाद इसे छानकर बोतल में भर लें, आवश्यकतानुसार इस
मिश्रण को 6-10 ग्राम तक लगभग 30 मिलीलीटर पानी में मिलाकर भोजन के बाद सेवन करने से पाण्डु (पीलिया), मंदाग्नि (पाचन क्रिया खराब होना), अजीर्ण (भूख न लगना), आध्यमान, कब्ज और पेट में दर्द आदि
पेट से सम्बंधित रोग दूर हो जाते हैं। मासिक-धर्म के कष्ट के साथ आता हो या
अनियमित हो तो इस मिश्रण को 2 चाय वाले चम्मच-भर सुबह-शाम
3 सप्ताह तक नियमित रूप से सेवन करना लाभदायक है।
मूली की राख, करेला का रस, साण्डे की जड़ का रस, गडतूम्बा का रस को 10-10 ग्राम की मात्रा में मिलाकर
रख लें। इस मिश्रण को दिन में 3 बार पीने से पीलिया, मधुमेह (डाइबिटीज), पेट का दर्द, पथरी, औरतों के वायु गोला (औरतों
के पेट में गैस का गोला होना), शरीर का मोटापा, गुल्म वायु (पेट में कब्ज के कारण रूकी हुई वायु या गैस) तथा अजीर्ण आदि रोग
ठीक हो जाते हैं।
हिचकी:
मूली का जूस पीयें।
सूखी मूली का काढ़ा 50 से 100 मिलीलीटर तक 1-1 घंटे पर पिलायें।
मधुमेह (डायबिटिज):
मूली खाने से या
इसका रस पीने से मधुमेह (डायबिटीज) में लाभ होता है।
पीलिया (कामला, पाण्डु):
अत: पाण्डु (पीलिया)
रोग में मूली का रस 100 से 150 मिलीलीटर की मात्रा में गुड़ के साथ दिन में 3 से 4 बार पीने से लाभ होता है।मूली के ताजे पत्तों को पानी के साथ पीसकर उबाल लें
इसमें दूध की भांति झाग ऊपर आ जाता है, इसको छानकर दिन में 3 बार पीने से कामला (पीलिया) रोग मिट जाता है। एक कच्ची मूली रोजाना सुबह सोकर
उठने के बाद ही खाते रहने से कुछ ही दिनों में ही
पीलिया रोग ठीक हो जाता है।
मूली के पत्तों का 80 मिलीलीटर रस निकालकर किसी बर्तन में आग पर चढ़ा दें, जब पानी उबल जाए, तब उसे छानकर उसमें शक्कर
मिलाकर खाली पेट पीने से पीलिया रोग मिट जाता है।
आंतों के रोग:
मूली का रस आंतों
में एण्टीसैप्टिक का कार्य करता हैं।
पथरी:
30 से 35 ग्राम मूली के बीजों को आधा
लीटर पानी में उबाल लें। जब पानी आधा शेष रह जाए तब इसे छानकर पीएं। यह प्रयोग कुछ
दिनों तक करने से मूत्राशय की पथरी चूर-चूर होकर पेशाब के साथ बाहर आ जाएगी। यह
प्रयोग 2 से 3 महीने निरन्तर जारी रखें। मूली का रस पीने से पित्ताशय की पथरी बनना बंद हो
जाती है।
मूली का रस निकालकर
उसमें जौखार का चूर्ण (पाउडर) आधा ग्राम मिलाकर रोजाना सुबह-शाम खायें। इससे पेडू
(नाभि के नीचे का हिस्सा) का दर्द और गैस दूर होती है तथा पथरी गल जाती है।
कामेन्द्रिय (लिंग) का शिथिल (ढीला) हो जाना:
मूली के बीजों को
तेल में पकाकर (औटाकर) उस तेल से कामेन्द्रिय पर मालिश करें। मासिक-धर्म
(ऋतुस्राव) के रुकने के कारण चेहरे पर अधिक मुंहासे निकलते हों तो सुबह के समय
मूली और उसके कोमल पत्ते चबाकर खाने से आराम मिलता है। मूली के रस का भी सेवन कर
सकते हैं। इससे कामेन्द्रिय की शिथिलता (ढीलापन) दूर होकर उसमें उत्तेजना पैदा
होती है।
मासिक-धर्म की रुकावट, अनियमितता व परेशानियां:
मूली के बीजों के
चूर्ण को 3 ग्राम की मात्रा में स्त्री
को देने से मासिक-धर्म की रुकावट दूर होती है और मासिक-धर्म साफ होता है।
बवासीर:
मूली कच्ची खाएं तथा
इसके पत्तों की सब्जी बनाकर खाएं। कच्ची मूली खाने से बवासीर से गिरने वाला रक्त
(खून) बंद हो जाता है।
आपको लीवर की समस्या हो, आपको पीलिया हो या
आपको बवाशीर की प्रॉब्लम हो| वैसे इसे खाने के बहुत लाभ
हैं, कुछ तो हम लोग जानते हैं कुछ नहीं भी जानते हैं,लेकिन आयुर्वेद में मूली खाना अच्छा बताया गया है| ये हमारे पाचन तंत्र को मजबूत करती है, साथ ही
पेट से जुडी हर समस्या में लाभकारी भी है| मूली एक सस्ती
सब्जी है लेकिन गुणों के मामले में ये बहुत गुणवान है| अछि
साफ़ और पतली मूली जिसमे पत्ते भी लगे हों , को खाने से
बहुत लाभ है| चलिए कुछ बीमारियों के बारे में जानते हैं
की मूली किन किन बीमारियों में फायदा देती है|
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