शीशम के फायदे
शीशम को आयुर्वेद में जड़ी-बूटी के रूप में प्रयोग किया जाता है।इसका वैज्ञानिक नाम एनिबा रोजाऐंडोर है। इसकी लकड़ी महंगी होती है। इसलिए इसका प्रयोग इमारतों में अधिक किया जाता है।
शीशम के औषधीय महत्व.
शीशम के तेल का सेवन करने से अवसाद ग्रस्त रोगियों को कुछ ही देर में आराम मिल जाता है। इसका सेवन आपको उदासी और निराशा से दूर रखता है। साथ ही जिंदगी में सकारात्मक ऊर्जा के साथ आगे बढ़ने में मदद करता है। खाने में इसका प्रयोग उन लोगों के लिए काफी फायदेमंद साबित होता है जो हाल-फिलहाल ही अपने किसी लक्ष्य को नहीं पा सके।
दर्द में राहत
यदि आपके दांतों में, सिर में या फिर जोड़ों में दर्द हैं तो इसमें शीशम का तेल काफी लाभकारी होता है। दांत में दर्द होने पर शीशम के तेल का फोया (रुई में तेल लगाकर) दांत के नीचे रख लें, इससे कुछ ही देर में आराम मिलेगा। सिर में दर्द होने पर शीशम के तेल की मालिश फायदेमंद होती है।
दर्द में राहत
यदि आपके दांतों में, सिर में या फिर जोड़ों में दर्द हैं तो इसमें शीशम का तेल काफी लाभकारी होता है। दांत में दर्द होने पर शीशम के तेल का फोया (रुई में तेल लगाकर) दांत के नीचे रख लें, इससे कुछ ही देर में आराम मिलेगा। सिर में दर्द होने पर शीशम के तेल की मालिश फायदेमंद होती है।
त्वचा रोगों में.
त्वचा में उत्पन्न होने वाले कृमि अथवा एक्जिमा के उपचारार्थ सम्बंधित स्थान पर शीशम के बीजों का तेल लगाना हितकारी है. इसके लगाने से 2 सप्ताह के भीतर ही रोग से निवृति होती है. इसका तेल बीजों के संपीडन से प्राप्त किया जा सकता हैशीशम के पत्तों से निकलने वाले चिपचिपे पदार्थ को कई रोगों के उपचार में इस्तेमाल किया जाता है। इसके तेल को दर्दनाशक, अवसादरोधी, सड़न रोकने वाले, कामोत्तेजक, जीवाणु रोधक, कीटनाशक और स्फूर्तिदायक आदि के तौर पर प्रयोग किया जाता है।
ब्राजील में शीशम के सदाबहार विशालकाय पेड़ पाये जाते हैं। शीशम क्षत्रिय जाती का वृक्ष है, यह वनस्पति जगत के फेबसी कुल का सदस्य है. शीशम सर्वत्र पाया जाने वाला एक मध्यम श्रेणी का सदा हरित वृक्ष है. असम, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब, राजस्थान सहित सम्पूर्ण भारत में बहुतायत से मिलने वाला छायादार वृक्ष है, ये प्राय सड़कों के किनारे लगा हुआ मिल जाता है