नीम के पत्ते खाने के फायदे | नीम के गुण |नीम के पत्तों का रस

नीम का वृक्ष 40-50 फुट ऊँचा, अनेक शाखा-प्रशाखाओं से युक्त और सघन होता है। तने की लकड़ी सरल होती है। इसे निम्ब (संस्कृत), नीम (हिन्दी), निम (बंगाली), कडूलिंब (मराठी), लीमड़ो (गुजराती), बेंबु (तमिल), बेया (तेलुगु), आजाद दरख्त (अरबी) तथा मेलिया एजाडिरेक्टा (लैटिन) कहते हैं।

2.  छाल काली, मोटी और खुरदरी होती है। पत्ते छोटी टहनियों के अन्त में लम्बी सींकों पर नुकीले, कंगूरेदार, 3-4 अंगुल लम्बे 1-1 अंगुल चौड़े होते फल में एक बीज होता है। होता हैंवमन : ज्वर में वमन होता हो, तो नीम की लकड़ी जलाकर पानी में बुझाकर वही पानी पिलाइये। इससे कफ की कै रुक जाती है।

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नीम के गुण : यह स्वाद में कडुवा, कसैला, पचने पर कटु तथा हल्का होता है। इसका मुख्यत: त्वचा-ज्ञानेन्द्रिय पर कण्डूध्न (त्वचा-रोगहर) प्रभाव पड़ता है। हैं। नये पत्ते निकलने के साथ छोटे-छोटे, पीले-सफेद रंग के फूल आकर लद जाते हैं (बौर, निम्बमंजरी) इसके फल खिरनी के आकार के छोटे, हरे रंग के तथा पकने पर पीले होते हैं। यह कीटाणुनाशक, शोथहर, उदर कृमिहर, व्रण-रोपण (घाव भरनेवाला), पीड़ा-शामक, रुचिकर, रक्तशोधक, कफहर, मूत्रविकारनाशक, गर्भाशयउत्तेजक, दाह-प्रशामक, ज्वरघ्न, नेत्र के लिए हितकारक तथा बलकारक

3. दाह : ज्वर में दाह हो तो नीम के पत्ते पीसकर शहद मिला पानी में घोलकर पिलायें। इससे ज्वरदाह कम हो जाता और वमन भी रुक जाता है।

4. मसूरिका : नीम के मुलायम पत्ते और काली मिर्च सम परिमाण में पीसकर चने के बराबर गोली बना लें।

5. कामला : नीम की छाल के रस में शहद मिलाकर सुबह सेवन करने से कामला में आराम होता है। चेचक के दिनों में प्रात: 1 गोली पानी के साथ लेने पर चेचक नहीं निकलती। बराबर दो सप्ताह के सेवन से फोड़ा-फुन्सी भी नहीं निकलते। नीम-पत्र का रस मधु के साथ पीने से उदरस्थ कृमियों का नाश होता है।

8. शीतपित्त : नीम-पत्र को घी में भूनकर आँवला मिलाकर खाने से शीतपित्त, फोड़े, घाव, अम्लपित और रक्तविकार में निश्चित लाभ होता है। नीम-पत्र और पटोल-पत्र का क्वाथ शहद मिलाकर पीने से वातरक्त (गाउट) में आराम होता हैं।

9. दन्तरोग : नीम की जड़ की छाल का काढ़ा लेने से दन्तरोग नहीं होता। पायोरिया में यह विशेष लाभकर हैं।

10. खालित्य-पालित्य : नीम-बीजों के तेल का 1 मास तक नस्य लेने और केवल दूध का सेवन करने से बाल काले होते एवं गिरे बाल उग आते हैं।

11. विष-प्रतिकार : नीम-फलों की गिरी को गर्म जल के साथ देने से विष का असर तुरन्त मिट जाता है।


 

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